Tuesday 3 May 2016

बुद्ध वाणी



✅मनुष्य का परम सुख क्या है?

तथागत बुद्ध कहते है -

 निर्वाण परम सुख है-

 "निब्बाण परमं सुखं"।

✅मनुष्य के लिए परम लाभ क्या है?

बुद्ध कहते है - आरोग्य परम लाभ है-

"आरोग्य परमा लाभा"।

✅मनुष्य के लिए परम धन क्या है?

बुद्ध संतोष को परम धन कहते है -

" सन्तुट्ठि परम धनं "।

✅मनुष्य के लिए सबसे बड़ा बन्धु कौन है?

बुद्ध कहते है - विश्वास सबसे बड़ा बन्धु है -

  " विस्सासपरमा ञाती "।

✅मनुष्य के लिए जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है?

बुद्ध निर्वाण को जीवन का अंतिम लक्ष्य कहते है ।

🌳बुद्ध दु:ख से मुक्ति का मार्ग बताते है, फिर भी बेहोशी में पड़े लोग बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने के लिए उत्सुक नही है । कारण, जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है, इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर गंभीरतापूर्वक सोचने के लिए आज किसी के पास समय नही है । आज के यांत्रिक युग के व्यस्त जीवन में इस विचार के लिए किसी को अवकाश ही नही मिलता है । अब तो 'समय' नाम की चीज ही मिलना असंभव हो रही है । सुबह के नित्यकर्म के बाद चाय-पानी, अल्पाहार होते ही लोग अपने-अपने व्यवसाय के कार्यवश दौडधूप करने लगते है और सारा दिन उसी में व्यस्त रहकर शाम को थके-मांदे घर लौटते है । भोजन, निद्रा और व्यवसाय में दिन पूरा ! प्रतिदिन का यही जीवन क्रम । आयु बितती जाति है और संसार के भवचक्र में लोग घूमते रहते है ।🌳

🎤दु:खकारक भवचक्र से छुटकारा पाने के लिए मनुष्य को अपने आपको देखने की आवश्यकता है । जब देखना शुरू कर दिया तो कल्याण का रास्ता साफ हो गया । मन को सम्यक रूप से वश में करके " सब्ब पापस्स अकरणं" और " कुसलस्स उपसंपदा" से " सचित्तपरियोदपनं " करके भवचक्र से मनुष्य मुक्त हो जाता है ।🎤

🎄मनुष्य ही भवचक्र से मुक्त होने की क्षमता रखते है, इसलिए निर्वाण हेतु पुरूषार्थ करने के लिए संवेग जागे यही मंगल कामना ।🎄

🌻 भवतु सब्ब मंगलं 🌻

 🙏 नमो बुद्धाय 🙏

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